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Passport Ranking 2025: 20 साल में पहली बार अमेरिकी पासपोर्ट टॉप-10 से बाहर, जानें भारतीय पासपोर्ट की ताकत

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नई दिल्ली: एक दौर था जब अमेरिकी पासपोर्ट को दुनिया का सबसे प्रभावशाली और ताकतवर माना जाता था, लेकिन अब यह कहावत बदलती नजर आ रही है। हेनली पासपोर्ट इंडेक्स की ताजा रिपोर्ट में पहली बार अमेरिकी पासपोर्ट टॉप 10 से बाहर हो गया है और यह अब 12वें स्थान पर मलेशिया के साथ साझा हो चुका है। यह बदलाव वैश्विक कूटनीतिक रिश्तों और वीजा नीतियों में आए बड़े बदलावों का परिणाम है, जिसने अमेरिकी पासपोर्ट की यात्रा स्वतंत्रता को कमजोर कर दिया है।

20 साल पहले शुरू हुई इस रैंकिंग के मुताबिक, अब अमेरिकी नागरिक 227 देशों में से केवल 180 देशों में बिना वीजा यात्रा कर सकते हैं। यह संख्या पिछली पीढ़ी की तुलना में काफी कम हो गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव और कड़ी वीजा नियमों ने कई देशों को अमेरिका के साथ वीजा-मुक्त यात्रा समझौते खत्म करने के लिए मजबूर कर दिया है। उदाहरण के तौर पर ब्राजील, चीन और वियतनाम ने अमेरिका को अपनी वीजा-मुक्त देशों की सूची से हटा दिया है। इसके अलावा, पापुआ न्यू गिनी, म्यांमार और सोमालिया जैसे देशों में नए ई-वीजा सिस्टम ने भी अमेरिकी पासपोर्ट की पहुंच सीमित कर दी है।

दूसरी ओर, अमेरिका अपनी सीमा पर आने वाले देशों के लिए बेहद कड़े नियम अपनाए हुए है। अमेरिका केवल 46 देशों के नागरिकों को बिना वीजा अपने देश में आने की अनुमति देता है। इस वजह से हेनली ओपननेस इंडेक्स में अमेरिका 77वें स्थान पर है, जो यह दर्शाता है कि अमेरिका मेहमाननवाजी के मामले में काफी पीछे है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका की सख्त वीजा नीतियों का जवाब दूसरे देश भी समान रूप से दे रहे हैं।

जहां अमेरिकी पासपोर्ट नीचे खिसका है, वहीं सिंगापुर ने इस सूची में शीर्ष स्थान हासिल किया है। सिंगापुर के पास 193 देशों में बिना वीजा यात्रा का विकल्प है। इसके बाद दक्षिण कोरिया और जापान क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। चीन ने पिछले दशक में अपनी स्थिति मजबूत करते हुए 94वें से 64वें स्थान तक छलांग लगाई है। चीन के नागरिक अब 82 देशों में बिना वीजा यात्रा कर सकते हैं, जबकि चीन 76 देशों के नागरिकों को वीजा-मुक्त प्रवेश की सुविधा देता है, जो अमेरिका से कहीं अधिक है। चीन ने हाल ही में रूस को भी अपनी वीजा-मुक्त सूची में शामिल किया है।
भारत इस सूची में 85वें स्थान पर है, जहां भारतीय नागरिक 57 देशों में बिना वीजा यात्रा कर सकते हैं।
इस पूरे परिदृश्य से यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक कूटनीति, वीजा नीतियां और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में आए बदलावों ने अब तक के सबसे मजबूत पासपोर्ट के खिताब को भी चुनौती दी है। आने वाले समय में पासपोर्ट की ताकत केवल देशों के राजनीतिक फैसलों और वैश्विक सहयोग पर निर्भर करेगी।