नेशनल डेस्क। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का संकट लगातार गहराता जा रहा है जिससे लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ग्रेप-3 (GRAP-3) की पाबंदियां लागू की गई हैं लेकिन अफसोस की बात यह है कि इन नियमों को लागू करने वाली सरकारी एजेंसियां जमीन पर विफल नजर आ रही हैं।
‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंची दिल्ली की हवा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताजा आंकड़ों के अनुसार गुरुवार सुबह 7 बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 407 दर्ज किया गया जो ‘गंभीर’ (Severe) श्रेणी में आता है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि हवा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है।
प्रमुख इलाकों में AQI की स्थिति (गंभीर श्रेणी में 400 के पार)
इलाका AQI
दरियागंज 455
बवाना 460
चांदनी चौक 456
आईटीओ 438
जहांगीरपुरी 447
आनंद विहार 431
अलीपुर 418
बुराड़ी 433
द्वारका 401
अन्य प्रमुख स्थानों पर हाल
इंडिया गेट/कर्तव्य पथ: AQI 396 (‘बेहद खराब’ श्रेणी) रहा जहां जहरीले धुंध की मोटी परत छाई रही।
दिल्ली से सटे एनसीआर (NCR) क्षेत्रों में भी हवा की गुणवत्ता बेहद खराब है:
गाजियाबाद: 409 (गंभीर)
गुरुग्राम: 388 (बेहद खराब)
नोएडा: 366 (बेहद खराब)
इससे पहले बुधवार को दिल्ली का औसत AQI 418 दर्ज किया गया था। लगातार दूसरे दिन दिल्ली देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा जिसके बाद दूसरे नंबर पर नोएडा रहा।
पाबंदियों के बावजूद लापरवाही: खुली एजेंसियों की पोल
प्रदूषण कम करने के लिए ग्रेप-1, 2 और 3 के तहत कई तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं लेकिन दैनिक जागरण की पड़ताल में सामने आया है कि इन नियमों को जमीनी स्तर पर लागू करने में एजेंसियां पूरी तरह विफल रही हैं।
जमीन पर नियमों के उल्लंघन के मुख्य उदाहरण:
निर्माण कार्य जारी: ग्रेप-3 के तहत निजी निर्माण और मरम्मत के कार्यों पर रोक है और केवल सरकारी निर्माण को ही मंजूरी है। इसके बावजूद मध्य दिल्ली के करोल बाग, राजेंद्र नगर, ओल्ड राजेंद्र नगर, पटेल नगर, सदर बाजार और दरियागंज जैसे इलाकों में धड़ल्ले से निर्माण गतिविधियां चल रही हैं।
खुले में प्रदूषण के स्रोत:
कई इलाकों में कूड़े में आग लगाने की घटनाएं हो रही हैं।
जगह-जगह खुले में निर्माण सामग्री (कंस्ट्रक्शन मटेरियल) पड़ी है।
कोयले पर जलते तंदूर आसानी से देखे जा सकते हैं।
डीजल जेनरेटरों का उपयोग गैर-अनुमोदित (Non-conforming) औद्योगिक क्षेत्रों में हो रहा है।
टूटी सड़कों और फुटपाथों पर मिट्टी और मलबे के ढेर लगे हैं जिससे धूल उड़ रही है।
उदाहरण: रिंग रोड पर भूरी भटियारी मस्जिद के बाहर सड़क पर पड़ी मिट्टी और दक्षिणी दिल्ली में मां आनंदमयी मार्ग के पास एक पार्क में लंबे समय से लगा कूड़े का ढेर नियमों की अनदेखी को साफ दिखाता है।
इन हालात से स्पष्ट है कि पाबंदियां लागू होने के बावजूद एजेंसियां कूड़ा जलाने, धूल नियंत्रण और अवैध निर्माण जैसी गतिविधियों को रोकने में नाकाम रही हैं जिससे दिल्लीवासियों के लिए सांसों का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है।

















