'लिखे जो खत तुझे...', आवाज के जादूगर को भाई-बहन प्यार से बुलाते थे 'फीकू'
2024-07-31 17:46:30 ( खबरवाले व्यूरो )
अमृतसर: हिंदी फिल्म जगत के सुर सम्राट मोहम्मद रफी की आज 44वीं पुण्यतिथि है। अपनी मीठी और दिल में उतर जाने वाली सुरीली आवाज में अनगिनत गीतों से उन्होंने भारत के जन-जन के मन में स्थान बनाया। 24 दिसंबर, 1924 को पंजाब के अमृतसर जिले के मजीठा का गांव कोटला सुल्तान में इस स्वर्गिक स्वर वाले गायक का जन्म हुआ। उनकी यादगार के नाम पर स्कूल का कमरा है, जहां वह पढ़े थे और स्कूल में ही उनका बुत लगाया हुआ है। गांव उन्हें अभी ‘नहीं भुला पाया है।’ अली मोहम्मद के घर 24 दिसंबर, 1924 को अली मोहम्मद के घर हुआ। छह बहन-भाइयों में रफी के बचपन का नाम फीकू था।
गांववासी गुरमीत सिंह समरा कहते हैं कि हम खुश किस्मत हैं कि हम खुशकिस्मत हैं कि रफी हमारे गांव के हैं, हम उनके गांव के नहीं। गांव में उनकी बड़ी यादगार बननी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियां उन्हें याद रखें लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ है। हम सरकारों को जमीन देने के लिए तैयार हैं पर वह भी पहल करे। रफी जी को भारत रत्न दिया जाए।
शहंशाह-ऐ-तरन्नुम से भी थे मशहूर
मोहम्मद रफी को शहंशाह-ऐ-तरन्नुम की उपाधि भी दी गई है। उन्होंने अपने करियर में हजारों गाने गाए हैं। इनमें- आने से उसके आए बहार, बहारों फूल बरसाओं, आज मौसम बड़ा बईमान है, लिख जो खत तुझे, बागों में बाहर है, तुमने पुकारा और हम चले आए, ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं जैसे हजारों गाने एवरग्रीन हैं।
अमिताभ बच्चन के फैन थे रफी साहब
ऐसा माना जाता है कि रफी साहब अमिताभ बच्चन के बहुत बड़े प्रशंसक थे। उन्हें अमिताभ बच्चन की दीवार मूवी काफी पसंद आई थी।
साल 1980 में नसीब फिल्म में अमिताभ के साथ युगल गीत गाया (चल-चल मेरे भाई....) उन्हें यह अवसर मिला, इस बात से रफी साहब को बहुत खुशी हुई।
जब वह घर पहुंचे तो उन्होंने इसके बार में पूरे परिवार को बताया। उन्हें अमिताभ और धर्मेंद्र की शोले फिल्म भी बहुत पसंद आई थी।